15शार्ट स्टोरी लघुकथा = माया मैंशन ( जेनर = हॉरर )
लघुकथा
जेनर = हॉरर
शीर्षक = माया मैंशन
कहते है कुछ राज़ अगर राज़ ही रहे तो उसी में सब की भलाई होती है अगर कभी भी राज़ो को जानने की कोशिश की जाती है तो या तो नाकामी हाथ लगती है या फिर कुछ ऐसा होता है कि वो राज़ जानने वाले मौत के घाट उतार दिए जाते है ।
आज कल के इस वैज्ञानिक दौर में भूत प्रेत जिन्नात आत्मा पर भरोसा करना मतलब मूर्ख लोगो में अपनी गिनती गिनने जैसा लगता है। लेकिन भले ही आज विज्ञानं ने कितनी ही तरक्की कर ली हो और इंसान चाँद पर भी कदम रखने में सक्षम हो चुका है लेकिन जैसे ईश्वर, इंसान, परिंदो जानवरो का अस्तित्व है उसी तरह आत्मा, भूत, प्रेत का भी अस्तित्व है उसको नकारना बेवकूफी है ।
और कोइ भी आत्मा बेमकसद इस दुनिया में नही रहती अपना शरीर त्यागने के बाद कोइ ना कोइ उसकी अधूरी ख्वाहिश होती है जो उसे परमात्मा तक जाने से रोकती है ।
ऐसे ही एक माया मैंशन की कहानी है जो की विराने में बना एक मैंशन है । जिसे कई सालो से भूतिया करार दिया गया है क्यूंकि रात के समय वहा से आने वाली चीखो की आवाज़े और किसी का भी वहा से ज़िंदा वापस ना लौटना इस बात की पुष्टि करता है की वहा कोइ आत्मा है जिसकी कोइ अधूरी ख्वाहिश है ।
सुरेश मुझे डर लग रहा हे देख शाम भी हो गयी और ये जंगल और ये मैंशन कितना डरावना दिख रहा हे मेरी मान तो लोट चलते हे ।
भाई मैं हूँ ना तेरे साथ तू बस कैमरा निकाल और शूट कर आज इस माया मैंशन का राज़ खोल कर रहूँगा अमित ने कहा।
हेलो दोस्तों जैसा की आप लोग जानते हे कि लोग अक्सर इस मैंशन को भूतिया कहते हे और कहा जाता हे यहाँ किसी की आत्मा हे तो आज मैं और मेरा दोस्त सुरेश इसी राज़ से पर्दा उठाने के लिए इस मैंशन के अंदर जा रहे मेरे साथ जुड़े रहिये राज़ो का पर्दाफाश चैनल के साथ।
अरे ये बड़ा टाइट दरवाज़ा हे खुल नहीं रहा अमित ने कहा।
तभी दोनों ने उस दरवाज़े को खोला और अंदर आ गए और शूट करने लगे।
तभी एक साया उनके पीछे से गुज़रा जिसे देख वो घबरा गए और थोड़ी देर बाद तेज हवा चलने लगी जिससे की वो दरवाज़ा बंद हो गया ।
वो दरवाज़े की तरफ भागे लेकिन दरवाज़ा बंद हो चुका था । तभी सीड़ियों से एक साया उतरा और देखते ही देखते उनके नजदीक आ गया और बोला " ये मैंशन मेरा हे यहाँ मेरी इज़ाज़त के बिना जो भी आता हे मारा जाता "
ये कह कर उसने उनकी गर्दन तोड़ दी और सवेरे उनकी लाश बाहर मिली।
उस घटना के कुछ हफ्ते बाद
रवि उठ जा देख सुबह हो गयी आज कॉलेज नही जाना तुझे । रवि की माँ निर्मला ने उसे उठाते हुए कहा
"माँ सोने दोना आज तो रविवार है " रवि ने कहा
"अरे मैं तो भूल ही गयी चल सोजा अभी 6 बजे है थोड़ी देर में आकर उठाती हूँ " निर्मला जी ने कहा और चली गयी ।
रवि चादर तान के सो गया तभी अचानक उसने अपने आप को एक घने जंगलो के बीच बने घर में पाया जहाँ की दीवारों पर चारो और खून की छीटे पड़ी थी । और अंदर किसी के रोने की आवाज़ आ रही थी
रवि डरते डरते उसके अंदर जाता है तो देखता है एक औरत जिसका पैर ज़नज़ीर से बंधा है और वो दर्द से करह रही है कमरे में अँधेरे के अलावा कुछ नही था ।
रवि डरते डरते उसके पास जाता वो मुँह फेरे बैठी थी । लेकिन तभी वो आत्मा उसका गला पकड़ लेती और रवि की सास घुटने लगती रवि चाह कर भी अपने आपको उससे बचा नही पाता। लेकिन बहुत देर बाद एक बड़ा सा पत्थर किसी ने उस आत्मा के मारा और उसने उसका गला छोड़ा ।
रवि चीख रहा था दर्द से और कह रहा था मुझे बचाओ नही तो वो मुझे मार देगी।
उसके कमरे से आती आवाज़ जब निर्मला जी ने सुनी तो वो दौड़ती हुयी उसके कमरे में पहुंची तो देखा रवि थर थर कांप रहा था चादर के अंदर।
वो उसके पास गयी और उसके मुँह पर एक दो चांटे मारे तब वो नींद से जागा और रोते हुए अपनी माँ के गले लग गया।
निर्मला जी बोली " आज फिर तुझे वही सपना आया हज़ार बार मना किया है की रात को अकेले डरावनी फ़िल्म मत देखा कर लेकिन नही तुम युवा पीड़ी को तो भूत प्रेत में भरोसा ही नही "
"मम्मी आखिर क्यू मुझे वही ख्वाब बार बार आता है आखिर कौन है वो बुरी आत्मा जो मुझे मारना चाहती है और तभी कोइ मुझे बचाता है , आखिर कौन हूँ में कही मेरा पुनर्जन्म तो नही है " रवि ने कहा
"परेशान मत हो तू पंडित जी से धागा लायी हूँ ये बांध अपनी कलाई पर और अकेले भूतिया फ़िल्म मत देखा कर ये सब उसी का नतीजा है और अब उठ जा और नाश्ता कर ले "निर्मला जी ने कहा
रवि नहा धोकर नाश्ता करके दोस्तों के साथ खेलने चला गया रवि 12 वी कक्षा में पढता है ।उसे भूत प्रेत के बारे में बेहद दिलचस्पी है उसके पास अनेक हॉरर नॉवेल और अनेको C D प्लेयर है जो की भूत की फिल्मो से भरे हुए है।
रवि पढ़ाई में बेहद होशियार है। जिसकी वजह से उसके बहुत से दोस्त उससे जलते है और सिर्फ दिखावे के दोस्त है ताकि उसे किसी तरह परीक्षा में मात दे सके।
अगले दिन सोमवार को सब बच्चे कक्षा में बैठे थे तभी गणित की अध्यापिका आकर शनिवार को हुए टेस्ट की कॉपी सब बच्चों को देती और रवि को खड़ा कर ताली बजवाते हुए कहती हर बार की तरह रवि ही प्रथम आया है।
मुझे उम्मीद है इस बार ये हमारे कॉलेज का टोपर होगा और सारी लड़कियों को पीछे छोड़ देगा।
अध्यापिका के मुँह से रवि की अच्छाई सुन उसके दुश्मन नुमा दोस्त काजल, आरोही, विवेक, अहमर और विशाल सब आपस में कहने लगे " इस रवि का तो कुछ करना होगा वरना ये हम सब से आगे निकल जाएगा इस बार की परीक्षा में 10 वी में तो हम लोगो ने टॉप किया था जब ये नही आया था लेकिन इस बार ये हमें सेकंड भी नही आने देगा सोचो दोस्तों इसका कुछ इंतेज़ाम सोचो "
"सब लोग छुट्टी के बाद पार्क में मिलो वही कुछ करेंगे इसका इंतेज़ाम " अहमर ने कहा
और सब लोग छुट्टी के बाद रवि से छिपकर पार्क में मिले।
सब ने अलग अलग मंसूबे बताये कोइ बोला इसको किसी लड़की के प्यार में फसा देते है, तो कोइ बोला इसे गाड़ी से उड़वा देते है। लेकिन सब को फसने का डर था।
तभी विशाल बोला "तुम लोगो ने कभी माया मैंशन का नाम सुना है जो यहाँ से 60 किलो मीटर दूरी पर जंगल के बीच में बना है "
हाँ, हम सब ने थोड़ा बहुत सुना है उस मैंशन के बारे में, कि वहा किसी की आत्मा रहती है और जो भी वहा गया कभी बच कर नही आया। सब ने कहा
मेरे पास एक प्लान है, रवि जो की अभी कुछ साल पहले ही यहाँ आया है अपने पिताजी के ट्रांसफर की वजह से उसे शायद उस जगह का पता ना हो और वैसे भी उसे भूत प्रेत में कितनी दिलचस्पी है हमेशा हॉरर नॉवेल ही पढता रहता है फिर भी पता नही कैसे क्लास का टोपर बना फिरता है।
क्यू ना हम उसे वहा लेकर जाए और बंद करके भाग आये और अगर सच में वहा कोइ आत्मा होगी तो वो उसे मार देगी नहीं तो हम उसे मार देंगे इस तरह हम भी बच जाएंगे क्यूंकि जो कुछ भी किया आत्मा ने किया और कहेँगे की रवि ही हमें वहा लेकर गया था।
"बहुत ही अच्छा विचार है विशाल हम सब तैयार है " सब दोस्तों ने कहा
"चलो फिर रविवार को चलेंगे लेकिन उससे पहले रवि को वहा के बारे में बता कर उसके दिल में वहा जाने के लिए जिज्ञासा भरनी होगी " विशाल ने कहा
"इसमें कोइ इतनी बड़ी बात नही है अभी कुछ हफ्ते पहले जो वहा से दो लाशें मिली थी उनकी खबर अख़बार में छपी थी और मेरे अब्बू ने वो खबर मुझे भी सुनाई थी बस वो अख़बार किसी तरह रवि को दिख जाए फिर वो खुद ही वहा खींचा चला जाएगा" अहमर ने कहा
"क्या आईडिया लगाया तूने मेरे भाई बहुत खूब, कल को बैग में रख कर वो अख़बार ले आना बाकी उस तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी मेरी "विवेक ने कहा
और थोड़ी देर बाद वो सब वहा से चले गए।
रवि रात का खाना खा रहा था तभी उसका ध्यान अपनी हथेली के पीछे बने हुए सूरज पर जाता है और वो अपनी माँ से पूछता है " मम्मी ये आपने मेरे हाथ पर सूरज क्यू बनाया था और कब बनवाया था इसका मतलब किया है "
निर्मला जी जो की अपने पति के साथ बैठी खाना खा रही थी ये सुन उन्हें ज़ोर का फन्दा लगा और वो खासने लगी। पास बैठे उनके पति ने उनको पानी दिया।
थोड़ी देर बाद वो संभली और बोली " बेटा तेरा एक भाई था बहुत छोटा कुछ ही दिनों का लेकिन वो किसी कारण वश मर गया था कुछ ही दिनों बाद उसका नाम सूरज था फिर भगवान जी ने कुछ दिनों बाद तुझे मेरी झोली में डाल दिया तेरा नाम मेने रवि रखा और तेरे हाथ पर तेरे भाई सूरज का निशान गुदवा दिया ताकि मुझे अपने दोनों बेटों के होने का एहसास रहे "
अच्छा मम्मी, अब मैं चलता हूँ पढ़ाई करना है फिर थोड़ा सा नॉवेल पढ़ना है आज वो आत्मा उस बच्चे को बचा लेगी उस बुरी आत्मा से। ये कह कर रवि वहा से अपने कमरे की और चला गया।
निर्मला जी के पति सुहाश ने निर्मला जी की तरफ देख कर कहा " मैं तो पल भर के लिए डर ही गया था कि कही आज उसे सच का पता ना लग जाए, लेकिन तुमने संभाल लिया हमारे बेटे को यकीन हो चला अब वो शायद कभी नही पूछेगा अपने हाथ पर बने सूरज के राज़ के बारे में "
"कभी कभी सोचती हूँ की हम बहुत खुदगर्ज़ हो गए रवि की मोहब्बत में अगर उसे कभी सच पता चल गया तो वो हमारी शक्ल भी नही देखना पसंद करेगा " निर्मला जी ने कहा
ऐसा मत सोचिये आप हमने जो कुछ किया था 16 साल पहले उसमे सब की भलाई थी और सब से ज्यादा रवि की नही तो आज वो,,,,,
बस चुप जाइये उस मनहूस जगह और उस मनहूस रात का ज़िक्र इस घर में मत कीजिये। निर्मला जी ने सुहाश जी की बात काटते हुए कहा और मेज पर रखे खाने के बर्तन उठा कर रसोई में ले गयी धोने के लिए।
रवि अपनी पढ़ाई करके नॉवेल पढ़ने बैठ गया और पढ़ते पढ़ते सो गया।
अगली सुबह अहमर ने वो अख़बार विवेक को दिया और विवेक ने वो अख़बार जिस पेज पर वो न्यूज़ छपी थी उस तरफ से करके रवि के बैग के उपर रख दिया जब वो वाशरूम गया।
रवि जब वापस आया और एक अख़बार अपने बैग पर रखा देखा तब उसने क्लास से पूछना चाहा तभी उसने जंगलो के बीच बना वो घर देखा और वहा छपी न्यूज़ पढ़ी " माया मैंशन में फिर हुआ खुनी खेल दो लोग जो उस मैंशन में छिपी आत्मा का राज़ जानने गए थे रात के अँधेरे में अपने पेरो से लेकिन सवेरे उनकी लाश मैंशन के बाहर पड़ी थी एक बार फिर आत्मा ने ली दो बेक़सूर लोगो की जान "
उस खबर को रवि ने गौर से पढ़ा तभी पास बैठे विशाल ने कहा " अरे ये अख़बार तेरे पास कैसे पंहुचा मैं तो इससे सीट साफ कर रहा था, तू किया पढ़ने लगा इसमें पढ़ाकू "
"कुछ नही विशाल बस ये खबर पढ़ रहा था माया मैंशन की "रवि ने कहा
"नाम मत ले उस भूतिया मैंशन का यूं इस तरह " विशाल ने कहा
"क्यू? नाम लेने से किया होगा" रवि ने पूछा
"क्या तुझे पता नही है कि वहा एक आत्मा रहती है जो वहा आने वालो को मार गिराती है " विशाल ने कहा
"अरे आत्मा वात्मा कुछ नही होती तुम लोग बेवजह डरते हो साइंस के विद्यार्थी हो फिर भूत पर भरोसा करते हो " अहमर ने कहा
"नही अहमर जैसे इस दुनिया मैं और चीज़ो का अस्तित्व है वैसे ही आत्माओ का भी अस्तित्व है कुछ आत्माये अच्छी होती है और कुछ बुरी " रवि ने कहा
"तुझे इतने यकीन से कैसे पता तूने देखा है किया " आरोही ने रवि से पूछा
"नही मेने देखा तो नही है सिर्फ कहानियो और फिल्मो में देखा है लेकिन मैं एक बार मिलना चाहता हूँ, क्या माया मैंशन में सच में कोइ आत्मा रहती है ? जो लोगो को मारती है " रवि ने पूछा
"हम लोगो ने भी सिर्फ सुना है कभी देखा नही है" विशाल ने कहा
"क्यू ना हम सब इस राज़ से पर्दा हटाने के लिए माया मैंशन चले किया पता वहा कोइ भूत हो ही नही, ये सब मन घडत कहानी हो और कोइ वहा आत्मा की आड़ में कोइ गलत काम अंजाम दे रहा हो " रवि ने कहा
उसे झांसे में फसता देख सब लोग एक दूसरे का चेहरा देख मुस्कुराये और विशाल बोला " अगर हमें या तुझे कुछ हो गया तब "
"कुछ नही होगा मुझे नही लगता की वहा कोइ आत्मा होगी " रवि ने कहा
"चलो फिर ठीक है अगली रविवार को हम सब दोपहर बाद खेलने का बहाना करके घर से निकलेंगे और यहाँ से कुछ दूरी पर एक बस स्टॉप है जहाँ से बस माया मैंशन से होते हुए जाती है हम लोग वही उससे पीछे उतर जाएंगे और फिर माया मैंशन के राज़ पर से पर्दा हटाएंगे मैं अपना कैमरा भी ले आऊंगा " विशाल ने कहा
सब बच्चे राज़ी हो गए चलने को।
घर आकर रवि माया मैंशन के बारे में ही सोचता रहा उसे यकीन था की उस मैंशन में ज़रूर कोइ आत्मा है और वो उससे मिल कर ही रहेगा । उसने गूगल पर उसके बारे में सर्च किया था काफी उस रात।
इसी तरह रविवार आ गया और रवि दोपहर का खाना खा कर खेलने का बहाना बना कर वहा से निकल गया। निर्मला जी उसे जाते हुए देखती रही उन्हें कुछ आभास होने लगा था मानो कुछ अनहोनी होने वाली है क्यूंकि बाहर मौसम अपना रुख बदल रहा था ।
उन्होंने उससे जल्दी आने का कहा।
वो सब लोग बस स्टॉप पर मिले सब के पास कैमरे थे लेकिन आरोही नही आयी क्यूंकि उसके पैर में मोच आ गयी थी जिस वजह से वो चल नही सकती थी ।
थोड़ी देर में बस आ गयी और वो लोग विशाल, अहमर, विवेक, रवि और काजल बस में बैठ कर माया मैंशन की और बढ़ने लगे।
बेटा तुम सब कहा जा रहे हो वहा बैठे एक आदमी ने पूछा ।
हम सब लोग माया,,,,, रवि उस आदमी को बताता तभी विशाल बीच से टोक कर कहता अंकल हम तो बस ऐसे ही थोड़ा घूमने जा रहे है आज रविवार है ना इसलिए
अच्छा बेटा, संभाल कर जाना मौसम भी अपना रुख बदल रहा शाम होने से पहले घर पहुंच जाना वरना कोइ बस नहीं मिलेगी।
करीब दो घंटे बाद वो लोग माया मैंशन से पहले ही उतर गए समय चार बज रहे थे ।
निर्मला जी बार बार दरवाज़े की तरफ देख रही थी कि रवि आता नज़र आ जाए।
अरे आज रविवार है कोचिंग की भी छुट्टी है इसलिए थोड़ा और खेल रहा होगा रवि के पिता ने कहा जो आज घर पर ही थे ।
सही कह रहे है आप । निर्मला जी ने कहा
वो लोग धीरे धीरे जंगल से होते हुए माया मैंशन के दरवाज़े तक पहुचे जहाँ एक बड़ा सी तख्ती टंगी थी और लिखा था अंदर जाना मना है ।
"यार विशाल यहाँ तो अंदर जाना मना है लिखा है चल वापस चलते है और देख कितनी भयानक लग रही है " काजल ने कहा
"कुछ नहीं होता है काजल तू डर मत हम तेरे साथ है "रवि ने कहा
इस तरह उन्होंने उस दरवाज़े को खोला जो की बहुत भारी था तभी एक काली बिल्ली उनका रास्ता काट गयी
"हे! भगवान ये किया हो गया बिल्ली रास्ता काट गयी अब तो ज़रूर कुछ होगा " काजल ने कहा
"कुछ नहीं होता हे सब अन्धविश्वास होता हे ।" विशाल ने कहा
"नहीं विशाल कभी कभी कुछ अनहोनी होती भी हे क्यूंकि जानवर वो चीज़े देख सकते हे जो हम नहीं देख सकते और वो हमें खतरे से आगाह करना चाहते हे मेने गूगल पर पढ़ा हे " रवि ने कहा
शाम होने लगी थी । आसमान में काले बादल मंडराने लगे थे वो लोग डरते डरते अपने मोबाइल और कैमरा हाथ में लिए मैंशन के अंदर जा रहे थे ।
जैसे जैसे वो आगे बढ़ रहे थे उन्हें ऐसा लग रहा था मानो कोइ साया उनके पीछे चल रहा हो और ज़मीन पर पड़े सूखे पत्ते उनके कदमो से एक अजीब तरह की आवाज़ निकाल रहे थे ।
वो किसी तरह उस मैंशन के मुख्य दरवाज़े तक आ पहुचे जहाँ एक बड़ा सा लकड़ी का दरवाज़ा लगा था । रवि सबसे आगे था ।
उसने उस दरवाज़े को खोलना चाहा लेकिन वो जाम था उन सब दोस्तों ने मिलकर अंदर को धक्का दिया जैसे ही उन्होंने ज़ोर लगाया वो दरवाज़ा अंदर को खुला वो लोग भी एक दूसरे के उपर गिर कर अंदर आ पहुचे ।
लेकिन तभी वहा से ढेर सारे चमगादड़ उनके सर पर से फर,,,, फर,,,, फर,,,, फर करके उड़े वो सब लोग डर गए और समँझे की कोइ साया उनके सर से गुज़रा उन लोगो की चीखे निकल गयी ।
फिर जब पता चला कि वो चमगादड़ हे तो उनकी जान में जान आयी । वो लोग थोड़ा आगे बढ़े तभी रवि को ऐसा लगा कि वो पहले वहा आ चुका हे उसने थोड़ा दिमाग़ पर ज़ोर लगाया और सोचने लगा कि आखिर उसने ये जगह कहा देखी थी ।
उसने अपने दोस्तों से कहा " मुझे लगता हे मैं यहाँ पहले कभी आ चुका हूँ मेने इस जगह को कही देखा हे लेकिन याद नहीं आ रहा हे "
ये सुन उसके दोस्त हसने लगे और बोले " ज़रूर पिछले जन्म में तू यहाँ रहता होगा तभी तो तुझे ये जाना पहचाना लग रहा हे "
शाम हो चली थी सूरज डूबने को आ पंहुचा था उस मैंशन में अँधेरे के अलावा कुछ ना था ।
निर्मला जी अब बहुत चिंतित हो गयी थी क्यूंकि बाहर मौसम ख़राब हो रहा था और रवि अभी तक घर नहीं लोटा था । अब सुहाश भी परेशान था रवि के लिए और वो दोनों उसे बाहर पार्क में देखने गए वहा सफाई कर्मचारी से रवि के बारे में पूछा तब उसने कहा " आज तो रवि और उसके दोस्त आये ही नहीं बल्कि उन्हें तो मेने बस स्टॉप पर देखा था शायद कही जा रहे थे "
"हे! भगवान ये लड़का कहा चला गया , हमें यहाँ आना ही नहीं चाहिए था । मेने आप से कहा था की आप अपना ट्रांसफर कही और करा लो लेकिन आप ने मेरी एक ना सुनी अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ आप होगे आप की वजह से मैं यहाँ अल्मोड़ा चली आयी अच्छे खासे हम लोग शिमला चले गए थे उस रात के बाद" निर्मला ने कहा
"तुम परेशान मत हो जरूर कही घूमने गया होगा हमारा बेटा अपने दोस्तों के साथ वैसे भी अब वो बड़ा हो रहा हे कब तक उसे यूं ही अपने पल्लू से बांध कर रखोगी " सुहाश जी ने कहा
"मुझे उसके जाने से डर नहीं हे , मुझे तो बस इस बात से डर हे की रास्ते में पड़ने वाला वो माया मैंशन जहाँ से उसकी और हमारी बुरी यादें जुडी हे और कई राज़ भी दफन हे अगर वो वहा चला गया तब किया होगा " निर्मला ने रोते हुए कहा
"वहा नहीं गया होगा आ जाएगा हम ढूँढ़ते हे उसके दोस्तों के घर चलते हे । शायद उन्हें कुछ पता हो " सुहाश जी ने कहा और वो लोग उसके दोस्तों के घर चल दिए ।
दूसरी तरफ मैंशन में अँधेरे के सिवा कुछ नहीं था तभी बिजली कड़कने की आवाज़ आती और तेज़ हवा उस दरवाज़े से आती वो सब लोग डर के मारे अलग अलग जगहों पर छिप जाते हे ।
विशाल और अहमर एक साथ छिपे थे ।
विशाल यार मुझे डर लग रहा हे इसको यहाँ छोड़ और हम सब लोग भाग चलते हे । मौसम भी ख़राब हे जो भी कुछ होगा इसके साथ हो जाएगा।
"सही कहा तूने अहमर मुझे भी यहां कुछ ठीक नहीं लग रहा हे । वो बिल्ली का रास्ता काटना, मौसम का यूं अचानक ख़राब हो जाना तू काजल और विक्की को ला मैं इस रवि के सर में कुछ मार कर आता हूँ ताकि हम लोग यहाँ से भागे तो ये हमारे पीछे ना आये ।" विशाल ने कहा और पास रखी एक लोहे की राट उठा कर रवि की और बड़ा ।
. रवि जो की डरा सेहमा था और याद करने की कोशिश कर रहा था । आगे बढ़ता गया . तभी अचानक उसे अपने सर पर कुछ भारी सा लगा और वो कराहते हुए पीछे मुड़ा उसकी आँखों के आगे कुछ धुंधला धुंधला सा लगा और उसने देखा की विशाल के हाथ में एक लोहे की राट थी ।
और बाकी सब दोस्त हस रहे थे । तभी विशाल ने कहा " अब तू यही आत्मा के साथ मर हम जा रहे हे हमने जो प्लान बनाया था तुझे यहाँ लाकर आत्मा से मरवाने का नहीं तो खुद मार देने का वो पूरा हुआ अब तू मर यही और हम चले टॉप करने "
ये कह कर विशाल और उसके दोस्त दरवाज़े की तरफ भागे । रवि उन्हें अपना हाथ देकर रोकने की कोशिश करने लगा और धड़ाम से ज़मीन पर गिर गया ।
विशाल और उसके दोस्त जैसे ही दरवाज़े पर पहुचे दरवाज़ा बंद हो गया और वो निकल ना सके वहा से ये देख वो घबरा गए और बोले " ये दरवाज़ा किसने बंद किया अब हम लोग बाहर कैसे जाएंगे "
काफी देर उन्होंने उसे खोलने की कोशिश की परन्तु नाकाम रहे ।
तभी काजल की नज़र खिड़कियों पर पड़ी जो खुली हुयी थी वो लोग जैसे ही खिड़की की तरफ भागे वो भी अपने आप बंद हो गयी ।
ये देख वो डर गए और चीखने लगे " कोइ हे हमें यहाँ से निकालो बाहर बादल गरजने और बिजली चमकने की आवाज़ आ रही थी।
वो लोग डरे सहमे बैठे थे, तभी एक साया उन्हें सीड़ियों से उतरता दिखा जिसे देख वो घबरा गए उसके आने की वजह से वहा रखी हर चीज उस मैंशन में उड़ ने लगी ।
वहा इस तरह हो रही घटना को देख वो लोग घबरा गए रवि बेहोश पड़ा था । देखते ही देखते वो लोग भी हवा में उड़ने लगे और एक आवाज़ उनके कानो में सुनाई दी " चले जाओ यहाँ से अपना बच्चा मैं किसी को नहीं दूँगी वरना मारे जाओगे "
ये आवाज़ सुन वो घबरा गए तभी वो लोग धड़ाम से ज़मीन पर आ गिरे और अपने सामने एक भयानक आत्मा को देख कर डर गए उसने उन सब को गला पकड़ कर दूर दूर फेक दिया।
रवि को थोड़ा बहुत होश आया तब उसने देखा सब चीज़े उड़ रही हे और चीखने की आवाज़ आ रही तभी उसे लगा कि कोइ उसका हाथ पकड़ कर उसे घसीट कर कही ले जा रहा हो।
वही दूसरी तरफ निर्मला और सुहाश पागलो की तरह घर घर रवि को ढूँढ़ते फिर रहे थे । आखिर में वो आरोही के घर गए आरोही ने पहले तो कुछ नहीं बताया लेकिन जब निर्मला जी उसके सामने हाथ जोड़ कर रोते हुए गिड़ गिड़ाते हुए अपनी झोली फेला कर उससे भीख मांगने लगी तब वो बोली " कि वो लोग माया मैंशन गए हे वहा छिपी आत्मा का राज़ जानने "
आरोही ने सिर्फ इतना ही बताया ये नहीं बताया की वो लोग रवि को वहा मारने के लिए गए हे ।
ये सुन निर्मला जी का बुरा हाल हो गया और वो अपने पति सुहाश से बोली " मैं कहती थी अल्मोड़ा मत आओ लेकिन तुम नहीं माने अब देखो हमारा बेटा मुसीबत में हे वो उसे मार देगा "
सुहाश जी दौड़ कर पुलिस स्टेशन गए और पुलिस को रवि और उसके दोस्तों के बारे में बताया । निर्मला ने कहा " स्पेक्टर साहब मेरे बेटे को बचा लीजिये वरना वो उसे मार देगा और उसके दोस्तों को भी "
"कौन मार देगा आप इतने यकीन से कैसे कह सकती हो, किया आप जानती हो उसे " पुलिस ने पूछा
ये सुन निर्मला जी ने सुहाश जी की आँखों में देखा और कहा " अब उस राज़ पर से पर्दा उठाने का समय आ गया हे जिसे हमने बरसो पहले अपने सीनो में दफन किया था और यहाँ से चले गए थे लेकिन किस्मत हमें फिर यहाँ ले आयी "
"कौन सा राज़, किस बारे में हे " पुलिस वाले ने पूछा
"साहब पहले आप हमारे साथ उस माया मैंशन चलये मैं आपको रास्ते में बताती हूँ।" निर्मला जी ने कहा
वो दोनों स्पेक्टर के साथ गाड़ी में बैठ गए ।
हाँ तो निर्मला जी बताइये की कौन हे माया मैंशन के अंदर रहने वाली आत्मा और कौन आपके बेटे को मार देगा। पुलिस वाले ने पूछा
निर्मला जी ने डरते डरते कहा " माया मैंशन जहाँ कभी खुशियाँ वास करती थी जहाँ माया मैडम के हसने की गूँज़ चारो तरफ सुनाई देती थी । वो अपने माता पिता की एकलौती संतान जो ठहरी माँ बहुत पहले ही मर चुकी थी। सिर्फ पिता और नौकरानीयों की छत्र छाया में पड़ी बली । माया दीदी हम सब की लाडली थी । मैं तो उनकी बहुत अच्छी सहेली थी जब तक मेरी शादी नहीं हुयी थी ।
एक दिन माया दीदी को एक लड़के सौरभ से प्यार हो गया और उन्होंने उनसे शादी कर ली छिप कर सौरभ एक गरीब लड़का था इसलिए उनके पिता उससे उनकी शादी करवाना नहीं चाहते थे ।
जब वो शादी करके घर आयी तो उनके पिता ने उन्हें माफ कर दिया क्यूंकि वो उनसे बेहद प्यार करते थे और माया दीदी सौरभ भैया से। लेकिन कुछ दिनों बाद अचानक सीड़ियों से गिर कर माया दीदी के पिता अपाहिज और लकवा ग्रस्त हो गए । उन्होंने अपनी सारी दौलत माया दीदी के नाम करदी ।
कुछ दिन बाद माया दीदी के पिता जी भी मर गए कुछ दिन बाद माया दीदी माँ बनी और उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने सूरज रखा ।
वो अपनी सारी जायदाद अपने बेटे के नाम करना चाह रही थी तभी सौरभ भैया का असली चेहरा सामने आया उन्होंने सारी जायदाद अपने नाम करवाना चाही और माया दीदी को बहुत मारा यहाँ तक की वो अपने बेटे को भी मार देना चाहते थे । सूरज दो साल का था उस समय जब एक रात सौरभ भैया ने उसे माया दीदी से छीन कर मारने का प्लान बनाया ।
लेकिन उससे पहले ही माया दीदी ने मुझे बुलाकर सूरज को मुझे सोप दिया और कहा की इसे कही दूर ले जाओ और इसे बताना की इसकी माँ कौन हे । मैं मर भी जाऊ तब भी इसे इस मैंशन में ज़रूर लाना मुझसे मिलवाने के लिए क्यूंकि जब तक मैं इसे देखूंगी नहीं मेरी आत्मा मर कर भी परमात्मा से नहीं मिलेगी।
मेने पुलिस में खबर करना चाही मगर माया दीदी ने मना कर दिया क्यूंकि सौरभ ने उन सब को पहले ही अपनी तरफ कर लिया था ।
उस रात उसने सूरज ना मिलने के गुस्से में माया दीदी को मार दिया लेकिन माया दीदी ने भी उससे प्यार करते हुए भी उसे अपने हाथो से मार गिराया।
ये खबर जब मुझे मिली मुझे बहुत अफ़सोस हुआ लेकिन हम शिमला आ गए थे । मेने शुरू में सूरज को उसी नाम से पुकारा और खुद को मासी बुलवाया लेकिन कुछ सालो बाद जब मुझे पता चला की मैं कभी माँ नहीं बन सकती तब मैं खुदगर्ज़ हो गयी और मेने सूरज का नाम बदल कर रवि रख दिया और खुद उसकी माँ बन बैठी मुझे मेरी मामता ने माया दीदी से किया वायदा भुलवा दिया।
मुझे लगा की माया अपने बेटे को अपने साथ ले जाएगी इसी लिए मैं कभी उसे उस मैंशन नहीं लेकर गयी जहाँ माया अपने बेटे का इंतज़ार कर रही हे
लेकिन भाग्य से बड़ा कार साज कोइ नहीं इस दुनिया में इतने सालो बाद आज फिर हम वही आ गए और आज रवि अनजाने में अपनी माँ के पास चला गया लेकिन वहा माया के साथ उस सौरभ की भी आत्मा हेजो अब भी माया को मारता हे जो रवि को मार देगी अगर उसे पता चल गया की वो माया का बेटा हे।
बस इसलिए मुझे जाकर माया को बताना हे ताकि वो अपने बेटे को बचा सके और मुझे माफ करदे ।
निर्मला की आँखों में आंसू थे सुहाश ने उसे सीने से लगाया और कहा " हमारे बेटे को कुछ नहीं होगा उसकी माँ उसे बचा लेगी "
वही दूसरी तरफ माया के रूप में सुहाश उसे खींच कर कमरे में लाता हे जहाँ रवि को याद आ जाता हे जब वो खून से सनी दीवार और उस कमरे में एक और आत्मा को देखता हे " जो कह रही थी मेरा बेटा आएगा एक दिन, मैं अपने बेटे को किसी को नहीं दूँगी "
सौरभ की आत्मा बिना ये जाने की ये माया का बेटा हे उसे हवा में उछाल कर कहता हे " ये मैंशन मेरा हे यहाँ कोइ नहीं आ सकता जो भी यहां आएगा मारा जाएगा "
माया जो की वहा बैठी थी उससे बोली " और कितनो की जान लेगा इस मैंशन के चककर में ये मैंशन मेरे बेटे का हे और वो एक दिन आएगा और मुझे यहाँ से आजाद कर देगा "
कोइ नहीं आएगा और तेरा बेटा तो बिलकुल नहीं तभी सौरभ की आत्मा की नज़र रवि के हाथ पर बने उस सूरज पर जाती तब वो समझ जाता की वो माया का बेटा सूरज ही हे ।
निर्मला वहा पहुंच जाती उस मैंशन में सारा सामान बिखरा हुआ था और उसके दोस्त ज़मीन पर ज़ख़्मी हालत में थे । वो रोते हुए उन सब के पास जाती और पूछती मेरा बेटा रवि कहा हे ।
कही उसे उसने मार तो नहीं दिया तभी विशाल जो की थोड़ा होश में आया और ऊँगली से उपर की तरफ इशारा किया।
निर्मला सीड़ियों से उपर जा रही थी तभी उसे किसी ने धक्का दिया और वो लुढ़क कर नीचे गिर गयी तब सुहाश ने उसे सहारा दिया।
सौरभ ज़ोर ज़ोर से हसने लगा । रवि के हाथ पर बने उस सूरज को देख कर । रवि उसे इस तरह देख डरने लगा । तभी सौरभ की आत्मा ने ज़मीन पर बैठे रवि को आसमान में उछालते हुए ज़ोर से कहा " देख तेरे बेटे की किया हालत कर दी मेने ये मुझे मारेगा हर गिज़ नहीं ये मुझे किया इस धरती से भेजेगा मैं ही इसे उपर भेज दूंगा "
ये सुन माया ने रवि की तरफ देखा और उसकी तरफ दौड़ी लेकिन उसे सौरभ की आत्मा ने अपनी शक्तियों से कैद कर रखा था और उसे एक झटका लगा और वो पीछे हट गयी ।
नहीं मेरा बेटा नहीं मर सकता जब तक मेरी आत्मा को मुक्ति नहीं दे देता और तुझे तेरे अंजाम तक नहीं पंहुचा सकता ये कह कर वो गिर गयी ।
तभी कमरे में निर्मला आती रवि को उपर देख घबरा जाती और कहती मेरे बेटे को छोड़ दो।
सौरभ उसे भी हवा में उड़ा देता हे तभी निर्मला चीख कर कहती " माया दीदी अपने सूरज को बचा लो मुझसे जो गलती हुयी उसे माफ करदो लेकिन अपने बेटे को बचा लो मैं खुदगर्ज़ हो गयी थी इसलिए आपके पास ना ला सकी लेकिन आज वो स्वयं अनजाने में ही सही तुमसे मिलने आ गया उसे तुम हर रोज़ उसके सपने में दिखाई देती थी आज उसे तुम्हारी ज़रुरत हे उसे बचा लो "
रवि ये सब सुन रहा था । और समझ गया था की निर्मला और सुहाश उसके माता पिता नहीं हे । बल्कि माया उसकी माँ हे ।
रवि ने जैसे ही कहा " माँ मुझे बचा लो इस बुरी आत्मा से "
माँ सुनने के लिए वो कबसे इंतज़ार कर रही थी अपने बेटे का। वो उठी उसने डट कर सामना किया। सौरभ एक भयानक आत्मा बन गयी थी जिसका सामना करना आसान नहीं था ।
दोनों में काफी देर लड़ाई चली और आखिर में माया को सौरभ की आत्मा ने हरा दिया और वो अपनी शक्ति से उसे मारने वाला था लेकिन तभी रवि माया के सामने आ गया और उसने अपना हाथ अपने चेहरे पर रखा । सौरभ से बचने के लिए लेकिन तभी रवि के हाथ पर बने सूरज से एक तेज़ रौशनी निकली और सौरभ ज़ल कर भस्म हो गया ।
माया की आत्मा भी उस के बिछाये चक्रव्यूह से आजाद हो गयी थी । उसके दोस्त भी सही हो गए थे ।
माया ने रवि को गले से लगाया और बेहद प्यार किया। रवि ने उसे माँ कह कर पुकारा। निर्मला ने उससे माफ़ी मांगी की उसने इतने साल उसके बेटे को उससे दूर रखा ।
माया खुश थी अब उसकी आत्मा परमात्मा से मिलना चाहती थी क्यूंकि उसकी जो अधूरी ख्वाहिश अपने बेटे से मिलने की थी वो पूरी हो गयी ।
थोड़ी देर बाद माया की आत्मा आसमान में चली गयी और एक टिमतिमाता तारा बन गयी ।
रवि निर्मला और सुहाश के गले लग कर बेहद रोया अपनी माँ के जाने के गम में।
उसके दोस्तों ने भी उससे माफ़ी मांगी और कहा हमसे भूल हो गयी हम तुझे यहाँ मारने लाये थे ताकि हम टॉप कर सके ।
रवि ने उन्हें गले लगाते हुए कहा " भले ही तुम लोग मुझे मारने यहाँ लाये थे लेकिन तुम्हारी वजह से मुझे मेरी असली माँ का पता चल सका और उस आदमी की कैद से मैं उसे रिहा कर सका इसलिए तुम लोगो को मेने माफ किया " ये कह कर उसने सब को गले लगाया ।
और अपने घर आ गए अब रवि को उसकी माँ सपने में दिखती और कभी कभी वो उस तारे को देख कर उससे बाते करता ।
जेनर = हॉरर
Shnaya
02-Jun-2022 04:43 PM
👏👌
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Neelam josi
21-May-2022 04:54 PM
👌
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Seema Priyadarshini sahay
21-May-2022 04:30 PM
बहुत खूबसूरत
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